‘इस तरह का आचरण बर्दाश्त नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार, आखिर क्यों?

‘इस तरह का आचरण बर्दाश्त नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार, आखिर क्यों?

नई दिल्ली: एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। स्थापित कानून के विपरीत पक्ष पेश करने पर केंद्र को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र की ओर से कानून के विपरीत पक्ष पेश करने के आचरण को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी पीएमएलए के तहत एक महिला आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की है। जिसमें पीएमएलए में महिलाओं को जमानत के कड़े प्रावधानों से छूट दिए जाने के बावजूद ईडी ने विरोध किया था। जस्टिस एएस ओका ने कहा कि वह जमानत की हकदार हैं। उनकी जमानत पर आपत्ति क्यों दर्ज कराई गई? जिस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि बिल्कुल वह जमानत की हकदार हैं। कृपया हमें जवाब दाखिल करने दें। गलत संचार के कारण कुछ भ्रम की स्थिति थी। 

कैसे चलेगा- सुप्रीम कोर्ट का कहना 

जस्टिस ओका ने कहा कि हम मानते हैं कि हमें पूरा कानून नहीं पता, लेकिन कई बार हमें कानून के कुछ प्रावधान पता होते हैं। अगर कोर्ट के सामने पेश होने वाला सरकारी वकील इसी आधार पर आगे बढ़ेगा तो कैसे चलेगा? ऐसे पक्ष पर क्या विचार किया जाना चाहिए? कोर्ट ने कहा कि ऐसी दलीलें नहीं सुनी जाएंगी। एएसजी मेहता ने कहा कि ऐसा इरादा नहीं था, लेकिन मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया सामग्री देखें। महिला को सीआरपीसी के साथ-साथ पीएमएलए के तहत भी विशेष उपचार मिलता है, लेकिन यहां महिला खुद मास्टरमाइंड है। यही मैं दिखाने की कोशिश कर रहा हूं। हमें शुक्रवार तक का समय दें। तब तक हम आपके सामने एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने महिला की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है।

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