निजी गोदामों का 2100 करोड़ का भुगतान बकाया

निजी गोदामों का 2100 करोड़ का भुगतान बकाया

भोपाल । मप्र में एक तरफ सरकार प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के अभियान में जुटी हुई है, वहीं दूसरी तरफ यह स्थिति यह है कि 8,000 करोड़ रूपए का निवेश डूबने के कागार पर है। इसकी वजह यह है कि गोदाम संचालकों को पिछले दो साल से किराया नहीं दिया जा रहा है। निजी गोदामों का 2100 करोड़ का भुगतान होना है। दरअसल, भारत सरकार की ग्रामीण भंडारण योजना के तहत प्रदेश में करीब 8,000 करोड़ रुपए का निवेश कर 8,000 गोदामों का निर्माण किया था। ये गोदाम मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉरपोरेशन को किराए पर दिए गए हैं, जहां गेहूं, धान, मूंग, चावल, चना, सरसों जैसी सरकारी खरीद की फसलों का भंडारण किया जाता है। लेकिन पिछले कई वर्षों से सरकार की ओर से किराए का भुगतान नहीं किया गया है।मप्र सरकार के आह्वान पर प्रदेशभर में लोगों ने बैंकों से कर्ज लेकर गोदामों का निर्माण करवाया है। प्रदेश में 8,000 गोदाम हैं जिनमें वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉरपोरेशन किसानों से खरीदे गए अनाज को रखता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से गोदामों का किराया संचालकों को नहीं दिया जा रहा है। इससे कई गोदाम संचालकों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है। संचालकों का आरोप है कि पैसा नहीं मिलने की वजह से अनाज में दवाओं की व्यवस्था, कर्मचारियों का वेतन और किराया-बिल भुगतान आदि कर्ज लेकर करना पड़ रहा है। जिनके गोदाम किश्तों पर बने हैं, उनके डिफाल्टर होने की नौबत है।

2016-17 का किराया बाकी
एसोसिएशन ने बताया कि 2016-17 में किए गए प्याज भंडारण का किराया अभी तक बकाया है। धान का किराया पिछले 3 वर्षों से लंबित है। इसके अलावा गेहूं, मूंग, चना और चावल के भंडारण का किराया भी कई सालों से नहीं मिला है। वेयरहाउस मालिकों का कहना है कि 2016-17 से प्याज भंडारण का किराया अभी तक नहीं मिला है। पिछले तीन वर्षों से धान का किराया भी बकाया है। इसके अलावा गेहूं, मूंग, चना और चावल के भंडारण का किराया भी कई वर्षों से लंबित है। इस कारण वेयरहाउस संचालक बैंक का ऋण नहीं चुका पा रहे हैं और डिफॉल्टर हो गए हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि कई गोदाम नीलामी की कगार पर पहुंच गए हैं।

मालिक बैंक लोन की किश्तें नहीं चुका पा रहे
किराए के भुगतान नहीं होने से गोदाम मालिक बैंक लोन की किश्तें नहीं चुका पा रहे हैं, जिससे उनके खाते एनपीए होने लगे हैं। कई गोदाम नीलामी की कगार पर हैं। एसोसिएशन ने मांग की है कि सभी लंबित किराए का तुरंत भुगतान किया जाए और वर्ष 2025-26 की उपार्जन नीति में उनके संगठन को भी शामिल किया जाए। संचालकों का कहना है कि दो साल के अनाज भंडारण का कोई पैसा नहीं मिला है। एसोसिएशन ऑफ वेयरहाउस ऑनर्स के प्रदेश अध्यक्ष नवनीत रघुवंशी ने कहा कि साल 2025 आ चुका है, लेकिन अब तक 2016-17 के प्याज भंडारण का किराया बकाया है। फिलहाल कुल 2100 करोड़ का भुगतान होना है। बता दें, भुगतान न होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से इस व्यवसाय से जुड़े 5 लाख लोग प्रभावित होंगे और इनके रोजी रोटी पर संकट आ सकता है। कई संचालकों का कहना है कि वेयरहाउस के भंडारण का मुद्दा जल्द नहीं सुलझा तो वेयरहाउस संचालक इस साल मार्च के महिने से समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले गेहूं के भंडारण का बहिष्कार कर सकते हैं।

कर्ज लेकर गोदामों का निर्माण किया
भारत सरकार की ग्रामीण भंडारण योजना के तहत इन संचालकों ने बैंकों से करोड़ों रुपए का कर्ज लेकर गोदामों का निर्माण किया था। ये सभी वेयरहाउस मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन को उपलब्ध कराए गए हैं। पैसों की कमी के कारण कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है और अनाज का कीटोपचार भी नहीं हो पा रहा है, जिससे अनाज खराब होने का खतरा बढ़ गया है।

अधिकतर वेयरहाउस डिफाल्टर होने की कगार पर
गौरतलब है कि एक वेयरहाउस के संचालन में महीने का 1 से डेढ़ लाख रुपए का खर्च होता है। वही बैंक की किस्त आदि भी देनी होती है, परंतु किराया नहीं मिलने की स्थिति में मप्र के लगभग 8000 वेयरहाउस मालिकों को संकट का सामना कर पड़ रहा है। अधिकांश वेयरहाउस बैंक डिफाल्टर होने की कगार पर आ गए हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष नवनीत रघुवंशी ने बताया कि एफसीआई कटोत्रा के नाम पर, पेनाल्टी, लॉस गेन, कीटग्रस्त आदि के नाम पर वेयरहाउस संचालकों पर लाखों की पेनाल्टी लगा रहा है। कहीं-कहीं तो वेयरहाउस के किराए से अधिक पेनाल्टी भी लगाई गई है।

 पेमेंट न होने पर नहीं करेंगे गेहूं का भंडारण
मप्र के वेयरहाउस संचालकों सरकार को चेतवनी दी है कि यदि उनके बकाए किराए का भुगतान नहीं किया गया तो वे गेहूं का भंडारण नहीं करेंगे। मप्र वेयरहाउस ऑनर्स एसोसएिशन ने प्रदेश के सभी जिलों में मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया गया कि वेयरहाउस संचालकों को 2 साल से बकाया किराए का भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा किया तत्काल बकाया किराए का पेमेंट नहीं किया तो वे रबी की फसल यानी गेहूं का साल 2025-26 के लिए भंडारण नहीं करेंगे। एसोसिएशन के अध्यक्ष रघुवंशी ने कहा कि पूर्व में एसोसिएशन के सदस्य इन समस्याओं को लेकर मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री को ज्ञापन सौंप चुके हैं, परंतु कोई समाधान नहीं निकाला गया। संचालकों ने यह भी कहा कि इस बारे में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के अलावा प्रमुख सचिव खाद्य रश्मि अरुण शमी से कई बार चर्चा हुई, लेकिन अबतक भुगतान नहीं हुआ। बीते कई महीनों से सभी सरकार से लगातार संपर्क में भी हैं, पर भुगतान कराने के लिए कोई हल नहीं निकल सका है।

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