क्या दूल्हा-दुल्हन अपने वचन बना सकते हैं? सनातन धर्म में क्या है शादी की परंपरा जानें ज्योतिष से

क्या दूल्हा-दुल्हन अपने वचन बना सकते हैं? सनातन धर्म में क्या है शादी की परंपरा जानें ज्योतिष से

सनातन धर्म में शादी के दौरान कई विधि विधान और परंपराएं निभाई जाती हैं. उन्हें में से एक परंपरा होता है सात फेरा. शादी विवाह के दौरान दिए गए सात फेरे को सप्तपदी भी कहा जाता है. दूल्हा दुल्हन अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं. इन फेरों के दौरान पंडित जी के द्वारा दूल्हा दुल्हन को कुछ वचन भी बताए जाते हैं. वचन निभाने के संकल्प लेने के बाद ही शादी विवाह संपन्न होता है. कई लोगों की मन में यह सवाल उठना होगा कि क्या यह वचन खुद से क्या पंडित जी के द्वारा बनाए जाते हैं या फिर यह शास्त्र में उल्लेख है. इन सवालों के जवाब जानते हैं हम देवघर की ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुदगल जी से?

क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य :
विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें दो लोग ही नहीं बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है. दो अनजान लोग अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं और वचन का संकल्प भी लेते हैं. यह वचन शास्त्र में उल्लेख है. बिना वचन का संकल्प लिए शादी विवाह अधूरी मानी जाती है. वचन का दांपत्य जीवन में बेहद खास महत्व होता है. वचन का अगर महत्व समझ लिया जाए तो वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है.

सनातन धर्म में शादी के दौरान कई विधि विधान और परंपराएं निभाई जाती हैं. उन्हें में से एक परंपरा होता है सात फेरा. शादी विवाह के दौरान दिए गए सात फेरे को सप्तपदी भी कहा जाता है. दूल्हा दुल्हन अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं. इन फेरों के दौरान पंडित जी के द्वारा दूल्हा दुल्हन को कुछ वचन भी बताए जाते हैं. वचन निभाने के संकल्प लेने के बाद ही शादी विवाह संपन्न होता है. कई लोगों की मन में यह सवाल उठना होगा कि क्या यह वचन खुद से क्या पंडित जी के द्वारा बनाए जाते हैं या फिर यह शास्त्र में उल्लेख है. इन सवालों के जवाब जानते हैं हम देवघर की ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुदगल जी से?

 

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